डॉ. डी.पी. रस्तोगी केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (एच), नोएडा
हमारे बारे में
क) संस्थान के बारे में
होम्योपैथी के केंद्रीय अनुसंधान संस्थान, जो A-1/1, सेक्टर 24, नोएडा, उत्तर प्रदेश में स्थित है, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अंतर्गत नई दिल्ली स्थित केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है, जिसकी स्थापना 1 मई, 2007 से प्रभावी रूप से हुई थी।
इस संस्थान को 7 अक्टूबर 2015 को **डॉ. डी.पी. रस्तोगी केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान** के रूप में नामित किया गया और इसका औपचारिक उद्घाटन श्री श्रीपद नाइक, माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया।
स्व. डॉ. डी.पी. रस्तोगी (1939-2010) 1984 से 1999 तक केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के निदेशक रहे। होम्योपैथी के क्षेत्र में उनका प्रमुख योगदान 1973 में होम्योपैथिक केंद्रीय परिषद अधिनियम के निर्माण से शुरू हुआ। उन्होंने ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में होम्योपैथी को सम्मिलित किया और **होम्योपैथिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया** के प्रकाशन की पहल की। वे एक समर्पित शिक्षक, लेखक, चिकित्सक और शोधकर्ता थे। उन्हें **भारतीय होम्योपैथी के राजदूत** के रूप में भी जाना जाता है और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें से कुछ हैं:
- 1995 में हाहनेमैन पुरस्कार
- 1997 में धन्वंतरि पुरस्कार
- 2002 में हाहनेमैन मेमोरियल पुरस्कार
- 2008 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
संस्थान की स्थापना अनुसंधान को केंद्र में रखते हुए की गई है और यह होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली के सर्वांगीण विकास और प्रचार हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान में संलग्न है। संस्थान में ओपीडी, आईपीडी, प्रयोगशाला सुविधाओं सहित ईएनटी, नेत्र, फिजियोथेरेपी, जीवनशैली विकार क्लिनिक, त्वचा रोग व गठिया रोग क्लिनिक जैसी विशेष क्लीनिकों के साथ एक पूर्ण अस्पताल सेटअप है, जो सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं। रोगियों की सेवा के साथ-साथ, यह संस्थान **दवा मानकीकरण, दवा परीक्षण, नैदानिक सत्यापन और नैदानिक अनुसंधान** के क्षेत्रों में भी अनुसंधान कार्य करता है।
संस्थान समय के साथ कदम मिलाकर वैज्ञानिक मानकों पर अनुसंधान करने का प्रयास करता है, बिना होम्योपैथी के मूल सिद्धांतों से विचलित हुए, ताकि इन वैज्ञानिक अध्ययनों के परिणाम न केवल होम्योपैथिक समुदाय द्वारा, बल्कि वैज्ञानिक जगत द्वारा भी मानव कल्याण के लिए उपयोग में लाए जा सकें।
अपने मुख्य उद्देश्यों के अतिरिक्त, यह संस्थान **होम्योपैथी पर सूचना के एक संसाधन केंद्र** के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।
ख) संस्थान का अधिदेश (Mandate)
- आधुनिक वैज्ञानिक मानकों की दृष्टि से बहु-विषयक दृष्टिकोण के साथ विभिन्न होम्योपैथिक अनुसंधान क्षेत्रों का अन्वेषण करना।
- होम्योपैथिक दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण हेतु उन्हें उनके फार्माकोग्नोस्टिकल, भौतिक-रासायनिक एवं औषधीय प्रोफाइल के आधार पर मानकीकृत करना।
- कोडित होम्योपैथिक दवाओं को स्वस्थ मानवों पर डबल ब्लाइंड तकनीक के माध्यम से सिद्ध करना।
- सिद्ध/अर्ध-सिद्ध होम्योपैथिक दवाओं के रोगजनन (Pathogenesis) का नैदानिक सत्यापन करना।
- होम्योपैथिक दवाओं की शक्ति एवं क्रियाविधि से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु मौलिक, अनुप्रयुक्त एवं प्रमाण-आधारित अनुसंधान क्षेत्रों में कार्य करना।
- अन्य संस्थानों (होम्योपैथिक एवं सहायक) के साथ अनुसंधान परियोजनाओं हेतु सहयोग करना और जानकारी का आदान-प्रदान करना।
- अनुसंधान निष्कर्षों एवं जागरूकता को होम्योपैथिक समुदाय और आम जनता के बीच प्रसारित करना — पुस्तकों, मोनोग्राफ, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, IEC सामग्री, CME, ऑडियो-विजुअल आदि के माध्यम से राष्ट्रीय संसाधन केंद्र, जन सूचना कक्ष, आरोग्य मेले, जागरूकता शिविर आदि के द्वारा।
- वैज्ञानिकों, अर्ध-चिकित्सा एवं प्रशासनिक कर्मचारियों की क्षमता निर्माण हेतु निरंतर चिकित्सा शिक्षा, कार्यशालाओं और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों का आयोजन एवं भागीदारी।
- नियमित ओपीडी, आईपीडी एवं स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से ज़रूरतमंदों को जमीनी स्तर पर प्रभावी और नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।