परिषद

केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (CCRH) भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है जो होम्योपैथी में वैज्ञानिक अनुसंधान को शुरू करता है, समन्वय करता है, विकसित करता है, प्रसार करता है तथा बढ़ावा देता है।

परिषद का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है तथा पूरे भारत में फैले 26 संस्थानों/इकाइयों के नेटवर्क के माध्यम से बहु-केंद्रित अनुसंधान किया जाता है।

परिषद अनुसंधान कार्यक्रमों/परियोजनाओं को तैयार तथा संचालित करती है; उत्कृष्टता प्राप्त राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करके होम्योपैथी के मौलिक एवं अनुप्रयुक्त पहलुओं में साक्ष्य-आधारित अनुसंधान करती है; अतिरिक्त-म्यूरल अनुसंधान की निगरानी करती है तथा मोनोग्राफ, जर्नल, न्यूज़लेटर, आई.ई.सी. सामग्री, सेमिनार/वर्कशॉप के माध्यम से अनुसंधान निष्कर्षों का प्रचार करती है। अध्ययन आधुनिक वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप होते हैं तथा अनुसंधान का उद्देश्य यह होता है कि अनुसंधान के परिणाम व्यवहार में आएँ और उसका लाभ व्यवसाय एवं जनता को मिले।

परिषद की गतिविधियों के लिए नीतियाँ, दिशा-निर्देश तथा समग्र मार्गदर्शन शासी निकाय द्वारा नियंत्रित होता है। माननीय आयुष मंत्री, भारत सरकार शासी निकाय के अध्यक्ष होते हैं तथा परिषद के मामलों पर सामान्य नियंत्रण रखते हैं।

गठन का तरीका

भारत सरकार ने वर्ष 1969 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में केंद्रीय भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (CCRIMH) की स्थापना की थी ताकि विभिन्न भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में वैज्ञानिक आधार पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दिया जा सके। किंतु भारतीय चिकित्सा पद्धतियों एवं होम्योपैथी के प्रत्येक क्षेत्र में केंद्रित अनुसंधान के दृष्टिकोण से CCRIMH को भंग कर चार अलग-अलग अनुसंधान परिषदों का गठन किया गया — होम्योपैथी (CCRH), आयुर्वेद एवं सिद्ध (CCRAS), यूनानी (CCRUM) तथा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा (CCRYN) के लिए एक-एक।

केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (CCRH) का औपचारिक गठन 30 मार्च, 1978 को हुआ तथा इसे सोसाइटीज़ रजिस्ट्रेशन एक्ट XXI, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत स्वायत्त संगठन के रूप में स्थापित किया गया। CCRH पूर्णतः आयुष मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित/नियंत्रित है। वेतन संरचना, भत्ते, महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, परिवहन भत्ता आदि केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के समान ही हैं।

मुख्य उद्देश्य

1. होम्योपैथी में वैज्ञानिक आधार पर अनुसंधान के उद्देश्य एवं प्रतिमान तैयार करना
2. होम्योपैथी के मौलिक एवं अनुप्रयुक्त पहलुओं में वैज्ञानिक अनुसंधान शुरू करना, विकसित करना, करना तथा समन्वय करना
3. परिषद के समान उद्देश्यों में रुचि रखने वाले अन्य संस्थानों, संघों एवं सोसाइटीज़ के साथ सूचना का आदान-प्रदान करना
4. होम्योपैथी के प्रचार-प्रसार हेतु उत्कृष्टता प्राप्त संस्थानों के साथ संयुक्त अनुसंधान अध्ययन करना
5. मोनोग्राफ, जर्नल, न्यूज़लेटर, आई.ई.सी. सामग्री, सेमिनार/वर्कशॉप के माध्यम से अनुसंधान निष्कर्षों का प्रचार करना तथा व्यवसाय एवं जनता के लिए सूचना प्रसार हेतु ऑडियो-विजुअल सहायता सामग्री विकसित करना।

अन्य उद्देश्य

6. केंद्रीय परिषद के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जांच एवं अनुसंधान को वित्तपोषित करना।

7. परिषद के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए धन एवं निधि के लिए अपील जारी करना तथा नकद एवं प्रतिभूतियों, चल एवं अचल संपत्ति के रूप में उपहार, दान एवं सदस्यता स्वीकार करना।

8. सुरक्षित या असुरक्षित, गिरवी, चार्ज, हाइपोथिकेशन या किसी भी अन्य तरीके से धन उधार लेना या जुटाना।

9. परिषद के धन एवं निधि का निवेश शासी निकाय द्वारा समय-समय पर निर्धारित तरीके से करना।

10. परिषद की निधि को भारत सरकार के पास रखने की अनुमति देना।

11. परिषद के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक या सुविधाजनक किसी भी चल या अचल संपत्ति को अस्थायी या स्थायी रूप से अर्जित करना एवं रखना।

12. अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए केंद्रीय सरकार की पूर्व अनुमति प्राप्त कर चल या अचल संपत्ति को बेचना, पट्टे पर देना, गिरवी रखना, आदान-प्रदान करना या अन्यथा हस्तांतरित करना।

13. परिषद के उद्देश्यों के लिए आवश्यक या सुविधाजनक किसी भी भवन या कार्य का निर्माण, रखरखाव एवं परिवर्तन करना।

14. जिसका स्वीकार करना वांछनीय लगे, ऐसे किसी एंडाउमेंट या ट्रस्ट फंड का प्रबंधन स्वीकार करना।

15. परिषद के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पुरस्कार एवं छात्रवृत्तियाँ (यात्रा छात्रवृत्ति सहित) प्रदान करना।

16. सोसाइटी के नियमों एवं विनियमों के अनुसार प्रशासनिक, तकनीकी, लिपिकीय एवं अन्य पद सृजित करना तथा उन पर नियुक्तियाँ करना।

17. परिषद के कर्मचारियों एवं उनके परिवार के लाभ के लिए भविष्य निधि एवं/या पेंशन निधि स्थापित करना।

18. उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक या संयोगात्मक कोई भी अन्य वैधानिक कार्य अकेले या दूसरों के साथ मिलकर करना।

परिषद की गतिविधियों का संक्षिप्त परिचय  

परिषद की व्यापक अनुसंधान गतिविधियों में ‘औषधीय पौधों का सर्वेक्षण, संग्रह एवं खेती’, ‘औषधि मानकीकरण’, ‘औषधि परीक्षण’, ‘क्लीनिकल सत्यापन’ तथा ‘क्लीनिकल अनुसंधान’ शामिल हैं। इनके अतिरिक्त परिषद मौलिक एवं आधारभूत अनुसंधान; राष्ट्रीय महत्व के जन स्वास्थ्य कार्यक्रम; स्वास्थ्य मेलों में भी संलग्न है।

औषधीय पौधों का सर्वेक्षण, संग्रह एवं खेती

प्रामाणिक औषधीय पौध सामग्री की उपलब्धता औषधि मानकीकरण अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण आधार है जो किसी भी चिकित्सा पद्धति के विकास में योगदान देती है। होम्योपैथिक औषधियों का लगभग 80% स्रोत वनस्पति है। CCRH ने इस पहलू को उचित महत्व दिया है तथा औषधीय पौध अनुसंधान उद्यान एवं औषधीय पौध सर्वेक्षण एवं खेती इकाई स्थापित की है जो पूरे भारत में सर्वेक्षण किए गए क्षेत्रों से कच्ची औषध पौध सामग्री एकत्र करती है। यह अनुसंधान इकाई “सेंटर ऑफ मेडिसिनल प्लांट्स रिसर्च इन होम्योपैथी” तमिलनाडु के नीलगिरि जिले, इमली नगर, एमरल्ड पोस्ट में स्थित है। इस केंद्र ने अगस्त 2016 तक 170 सर्वेक्षण किए तथा मानकीकरण अध्ययन हेतु इकाइयों को 465 कच्ची औषधियाँ उपलब्ध कराईं। और पढ़ें...

औषधि मानकीकरण

औषधि मानकीकरण में होम्योपैथिक औषधियों का फार्माकोग्नॉस्टिकल, भौतिक-रासायनिक एवं फार्माकोलॉजिकल प्रोफाइल का व्यापक मूल्यांकन शामिल है ताकि औषधियों के विभिन्न गुणात्मक एवं मात्रात्मक गुणों का अध्ययन किया जा सके। परिषद ने 297 औषधियों पर फार्माकोग्नॉस्टिकल अध्ययन, 304 औषधियों पर भौतिक-रासायनिक अध्ययन तथा 149 औषधियों पर फार्माकोलॉजिकल अध्ययन किया है। निर्धारित मानक होम्योपैथिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया में मोनोग्राफ के रूप में शामिल किए गए हैं। और पढ़ें..

औषधि परीक्षण

औषधि परीक्षण, जिसे होम्योपैथिक पैथोजेनेटिक ट्रायल (HPT) भी कहते हैं, स्वस्थ मनुष्यों पर औषध पदार्थों का परीक्षण करके उनके पैथोजेनेटिक प्रभावों को चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए देखने एवं नोट करने की प्रक्रिया है। परिषद के सात केंद्रों पर अब तक लगभग 105 औषधियों का परीक्षण किया जा चुका है जिनमें से 15 औषधियाँ पहली बार परीक्षित की गईं तथा शेष का पुनःपरीक्षण किया गया। और पढ़ें..

क्लीनिकल सत्यापन

परिषद का एक अन्य कार्य औषधि परीक्षण से प्राप्त औषधियों के पैथोजेनेटिक लक्षणों का क्लीनिकल सत्यापन करना तथा क्लीनिकल लक्षणों का पता लगाना है ताकि इन औषधियों की चिकित्सीय उपयोगिता निर्धारित की जा सके। परिषद ने परिषद द्वारा परीक्षित एवं आंशिक रूप से परीक्षित 106 औषधियों पर अध्ययन किए हैं। और पढ़ें..

क्लीनिकल अनुसंधान

होम्योपैथी में क्लीनिकल अनुसंधान होम्योपैथिक औषधियों, प्रक्रियाओं एवं उपचार पद्धतियों के सुरक्षा, प्रभावकारिता एवं प्रभावशीलता के वैज्ञानिक साक्ष्य उत्पन्न करने, सत्यापित करने एवं सुदृढ़ करने में सहायक होता है। अब तक परिषद ने विभिन्न रोगों पर 136 अध्ययन किए हैं जिनमें से 121 पूर्ण हुए (106 अवलोकनात्मक एवं 15 रैंडमाइज़्ड क्लीनिकल ट्रायल) तथा 15 वापस ले लिए गए।

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दस्तावेज़ीकरण एवं प्रकाशन

विविध अनुसंधान क्षेत्रों में किए गए अध्ययनों को प्रकाशनों के रूप में दस्तावेज़ीकृत करना आवश्यक है। दस्तावेज़ीकरण एवं प्रकाशन खंड CCRH न्यूज़लेटर तथा ओपन एक्सेस जर्नल - इंडियन जर्नल ऑफ रिसर्च इन होम्योपैथी (IJRH); पुस्तकें एवं मोनोग्राफ; हैंडआउट आदि आईईसी सामग्री के माध्यम से परिषद की विभिन्न गतिविधियों को प्रदर्शित करता है।
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मौलिक एवं सहयोगात्मक अनुसंधान

परिषद बोस इंस्टीट्यूट (कोलकाता), एम्स (नई दिल्ली) आदि उत्कृष्ट संस्थानों के साथ सहयोग करके होम्योपैथी की प्रभावकारिता/अवधारणाओं को वैज्ञानिक मानकों पर सत्यापित करने हेतु साक्ष्य-आधारित, अंतर्विषयी, अनुवादात्मक अनुसंधान करती है। अब तक 33 अध्ययन पूर्ण हो चुके हैं तथा 15 चल रहे हैं। और पढ़ें..

जन स्वास्थ्य पहल

जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों में एकीकरण

भारत सरकार ने जन स्वास्थ्य में आयुष पद्धतियों को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय अभियान शुरू किए जिनमें होम्योपैथी को माँ एवं शिशु देखभाल में चुना गया। 2007 में शुरू हुआ माँ-शिशु देखभाल के लिए होम्योपैथी पर राष्ट्रीय अभियान अत्यंत सफल रहा जिसमें लगभग 9,12,478 रोगियों को लाभ हुआ। परिषद ने 2012 तक इस अभियान का संचालन एवं समन्वय किया।

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वर्तमान में परिषद राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS), राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) तथा “होम्योपैथी द्वारा स्वस्थ बच्चा” नामक पायलट आधारित जन स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रही है। और पढ़ें..

विशेष क्लिनिक

परिषद विभिन्न संस्थानों/इकाइयों में ईएनटी क्लिनिक, रूमेटोलॉजी क्लिनिक, डर्मेटोलॉजी क्लिनिक तथा लाइफस्टाइल डिसऑर्डर क्लिनिक चला रही है जो संबंधित रोगों के रोगियों को व्यक्तिगत उपचार प्रदान करती हैं।

परिषद की अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियाँ

अतिरिक्त-म्यूरल अनुसंधान (EMR)

आयुष मंत्रालय होम्योपैथी में अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करता है। इस योजना के अंतर्गत अब तक 36 अध्ययन पूर्ण हो चुके हैं तथा 8 चल रहे हैं। और पढ़ें..

अनुसंधान को शिक्षा से जोड़ना

छात्रों में अनुसंधान रुचि विकसित करने हेतु परिषद स्नातक एवं स्नातकोत्तर/पीएचडी छात्रों को वित्तीय अनुदान प्रदान करती है तथा होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के साथ एमओयू के माध्यम से प्रशिक्षण एवं अनुसंधान में सहयोग करती है।

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आईईसी (स्वास्थ्य मेला/सेमिनार/सम्मेलन)

परिषद आयुष मंत्रालय द्वारा प्रायोजित स्वास्थ्य/स्वास्थ्य/आरोग्य मेलों एवं प्रदर्शनियों में भाग लेती है तथा होम्योपैथी अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित करती है। और पढ़ें..

शोधकर्ताओं की क्षमता निर्माण एवं होम्योपैथिक व्यवसाय को नवीनतम प्रगति से अवगत कराने हेतु परिषद सीएमई आयोजित करती है तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में सक्रिय भागीदारी करती है। और पढ़ें..

परिषद की उपलब्धियाँ (उद्देश्यों के संदर्भ में)

1978 से अब तक परिषद ने होम्योपैथी के क्षेत्र में प्रमुख अनुसंधान संगठन के रूप में अपनी पहचान बनाई है। उद्देश्यवार संक्षिप्त उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:

उद्देश्य 1: होम्योपैथी में वैज्ञानिक आधार पर अनुसंधान तैयार करना एवं करना

परिषद ने डब्ल्यूएचओ/आईसीएमआर दिशानिर्देशों के अनुसार विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत अनुसंधान प्रोटोकॉल तैयार किए हैं। क्लीनियर रिसर्च, ड्रग प्रूविंग, ड्रग स्टैंडर्डाइजेशन, महामारी प्रबंधन एवं जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों एवं सांख्यिकीविदों की भागीदारी रहती है। अब तक 138 अध्ययन (123 पूर्ण) विभिन्न रोगों पर किए गए हैं।

औषधि विकास के अंतर्गत 297 औषधियों पर फार्माकोग्नॉस्टिकल, 304 पर भौतिक-रासायनिक एवं 149 पर फार्माकोलॉजिकल अध्ययन किए गए। औषधीय पौध उद्यान में 70 विदेशी पौधों की जर्मप्लाज्म संरक्षित है।

108 औषधियों का परीक्षण (15 नई) एवं 106 औषधियों का क्लीनिकल सत्यापन किया गया है। महामारी प्रबंधन में भी होम्योपैथी की भूमिका सिद्ध हुई है।

उद्देश्य 2 & 4: होम्योपैथी के मौलिक एवं अनुप्रयुक्त पहलुओं में वैज्ञानिक अनुसंधान तथा उत्कृष्ट संस्थानों के साथ सहयोग

2005 से परिषद ने मौलिक एवं सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा दिया है। 30 राष्ट्रीय एवं 3 अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित किए गए हैं; 33 परियोजनाएँ पूर्ण तथा 18 प्रगति पर हैं।

उद्देश्य 3: समान उद्देश्यों वाली संस्थाओं के साथ सूचना आदान-प्रदान

अमेरिका, ब्रिटेन, मैक्सिको, अर्जेंटीना, कनाडा, आर्मेनिया आदि देशों की संस्थाओं के साथ एमओयू किए गए हैं।

उद्देश्य 5: अनुसंधान निष्कर्षों का प्रचार-प्रसार

650 शोध-पत्र, 75 मूल्यांकित एवं 29 नि:शुल्क प्रकाशन, 120 जर्नल/न्यूज़लेटर, 3 डॉक्यूमेंट्री फिल्में तथा अनेक हैंडआउट प्रकाशित किए गए हैं। 18 रोग स्थितियों के लिए मानक उपचार दिशानिर्देश तथा NABH मानक भी विकसित किए गए हैं।

बाधाएँ

  • कई इकाइयाँ किराए के भवनों में कार्यरत हैं एवं प्रयोगशाला सुविधाएँ सीमित हैं
  • सहायक विज्ञान कर्मियों की कमी
  • पूर्ण सुसज्जित प्रयोगशालाओं का अभाव
  • वैज्ञानिकों के लिए राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण की आवश्यकता

भविष्य की दृष्टि/मील के पत्थर

  • उच्चस्तरीय अनुसंधान हेतु उत्कृष्टता केंद्र विकसित करना
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर की औषधि मानकीकरण प्रयोगशालाएँ
  • अति-सूक्ष्म मात्रा के यांत्रिक पहलुओं पर आधारभूत अनुसंधान
  • महामारी एवं जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों में होम्योपैथी का एकीकरण
  • शिक्षा के साथ अनुसंधान को मजबूत करना

मील के पत्थर/भविष्य की योजनाएँ:

I. होम्योपैथी अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र विकसित करना (मानसिक रोग, रूमेटोलॉजिकल विकार, वायरोलॉजी, परजीवी रोग आदि)
II. औषधि विकास, आधुनिक प्रयोगशालाएँ, भौतिक-रासायनिक अध्ययन, एकीकृत चिकित्सा मॉडल, महामारी रोकथाम ट्रायल, राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय सहयोग आदि पर विशेष जोर।

केंद्रीय/राज्य सरकार की अन्य समान संस्थाएँ

होम्योपैथी के क्षेत्र में परिषद जैसी कोई अन्य सरकारी संस्था कार्यरत नहीं है।

एक्स्ट्रा म्यूरल रिसर्च योजना के अंतर्गत वैज्ञानिकों को सहायता: आयुष मंत्रालय इस योजना के माध्यम से होम्योपैथी में अनुसंधान हेतु वित्तीय अनुदान प्रदान करता है तथा CCRH तकनीकी विशेषज्ञता एवं परियोजना परीक्षण में सहायक भूमिका निभाती है।

मानव संसाधन स्थिति (01.01.2017 तक)

   
कुल स्वीकृत पद (01.01.2018 तक)

समूह A - 127

समूह B - 52

समूह C - 279

कुल - 458

नियमित कर्मचारी (01.01.2018 तक)

समूह A - 112

समूह B - 48

समूह C - 203

कुल - 363

संविदा कर्मचारी (01.01.2017 तक)

रिसर्च एसोसिएट/वैज्ञानिक : 54

सीनियर/जूनियर रिसर्च फेलो : 107

परामर्शदाता : 16

अन्य (आउटसोर्सिंग) : 324

कुल : 501

प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी (01.01.2017 तक)

समूह A- 01 (बाहरी संगठन से CCRH)

समूह A- 01 (CCRH से बाहरी संगठन)

केंद्रीय सहायता की राशि (लाख रुपये में)

शीर्ष 2014-15 2015-16 2016-17 2017-18
योजना 2924.56 6000.00 5550.00 112.25
गैर-योजना 2058.45 2300.00 2600.00  
कुल 4983.01 8300.00 8150.00 112.25

उपयोग शुल्क आदि से वार्षिक राजस्व

परिषद ने 29.6.2016 से उपयोग शुल्क लागू किया है (रुपये में)

वर्ष 2013-14 2014-15 2015-16 2016-17 2017-18
लाख रुपये में शून्य 4,07,700.00* 9,92,700.00* 1,363,205.00 19,400,904.00

*सीआरआई कोट्टायम में पे वार्ड के माध्यम से

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About CCRH

Homoepathy was discovered by a German Physician, Dr. Christian Friedrich Samuel Hahnemann (1755-1843), In the late eighteen century. It is a therapetic systemof medicine premised on the principle,"Similia Similibus Curentur" or 'let likes be treated by likes'. It is a method of treatment for curring the patient by medicines that posses the power of producing similar symptoms in a human being simulating the natural disease, which it can cure in the diseased person, It treates the patients not only through holistic approach but also considers individuaistic characteristics of the person. This concepts of 'Law of Similars' was also enuncaited by Hippocrates and Paracelsus, but Dr. Hahnemann established it on a scientific footing despite the fact that he lived in an age when modern laboratory methods were almost unknown.

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