केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद
नागरिक घोषणा-पत्र
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परिचय
होम्योपैथी भारत में एक सुरक्षित, काल-परीक्षित, लोकप्रिय एवं व्यापक रूप से स्वीकृत चिकित्सा पद्धति है। जर्मनी में जन्मी होने के बावजूद भारत में होम्योपैथी 1839 से ही स्थापित है और अत्यधिक लोकप्रिय हुई। भारत सरकार ने इस पद्धति की जनता में व्यापक स्वीकार्यता को देखते हुए इसे अन्य पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल पद्धतियों के साथ एकीकृत करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। क्लीनिकल प्रैक्टिस, शिक्षा, अनुसंधान तथा औषधि सुरक्षा के लिए संस्थागत ढांचा व्यवस्थित रूप से स्थापित किया गया है। अनुसंधान पहल 1963 में एक समिति के साथ शुरू हुई और 1969 में भारत सरकार ने संबंधित क्षेत्रों में व्यवस्थित अनुसंधान के लिए केंद्रीय भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (CCRIMH) की स्थापना की।
1978 में CCRIMH को भंग कर चार अलग-अलग अनुसंधान परिषदों का गठन किया गया — होम्योपैथी (CCRH), आयुर्वेद एवं सिद्ध (CCRAS), यूनानी (CCRUM) तथा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा (CCRYN) के लिए एक-एक। परिषदों की इस स्वतंत्र व्यवस्था से संबंधित विषयों में अपनी-अपनी ताकत के साथ अनुसंधान को बढ़ावा मिला।
केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (CCRH) का औपचारिक गठन 30 मार्च, 1978 को स्वायत्त संगठन के रूप में हुआ तथा इसे सोसाइटीज़ रजिस्ट्रेशन एक्ट XXI, 1860 के तहत पंजीकृत किया गया। हालांकि जनवरी 1979 से परिषद ने स्वतंत्र संगठन के रूप में कार्य करना शुरू किया।
2. विज़न
होम्योपैथी अनुसंधान को वैज्ञानिक आधार पर तैयार करना, समन्वय करना एवं बढ़ावा देना।
3. मिशन
- वैज्ञानिक सत्यापन एवं वैश्विक स्वीकार्यता हेतु उच्च गुणवत्ता वाला अनुसंधान करना।
- गुड क्लीनिकल प्रैक्टिसेज-इंडिया के अनुरूप होम्योपैथी अनुसंधान के मानक परिभाषित एवं स्थापित करना।
- होम्योपैथी विज्ञान की आवश्यकता के अनुसार उचित अनुसंधान डिज़ाइन एवं उपकरण तैयार करना।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में होम्योपैथी का एकीकरण एवं मुख्यधारा में लाने की रणनीतियाँ तैयार करना।
- कुशल कार्यप्रणाली एवं गुणवत्तापूर्ण परिणाम के लिए प्रक्रियाओं एवं आधारभूत संरचना में सुधार करना ताकि अनुसंधान केंद्रों को मान्यता मिले।
- होम्योपैथिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया में औषधियों का जोड़ना एवं संशोधन करना।
- आने वाले वैज्ञानिकों में अनुसंधान अभिरुचि एवं कौशल विकसित करना।
- संगठन में शासन को सुव्यवस्थित करना।
4. उद्देश्य
• होम्योपैथी में वैज्ञानिक आधार पर अनुसंधान के उद्देश्य एवं प्रतिमान तैयार करना।
• होम्योपैथी के मौलिक एवं अनुप्रयुक्त पहलुओं में वैज्ञानिक अनुसंधान शुरू करना, विकसित करना, संचालित करना तथा समन्वय करना।
• परिषद के समान उद्देश्यों में रुचि रखने वाले अन्य संस्थानों, संघों एवं सोसाइटीज़ के साथ सूचना का आदान-प्रदान करना।
• होम्योपैथी के प्रचार-प्रसार हेतु उत्कृष्टता प्राप्त संस्थानों के साथ संयुक्त अनुसंधान करना।
• मोनोग्राफ, जर्नल, न्यूज़लेटर, आई.ई.सी. सामग्री, सेमिनार/वर्कशॉप के माध्यम से अनुसंधान निष्कर्षों का प्रचार करना तथा व्यवसाय एवं जनता तक सूचना पहुँचाने के लिए ऑडियो-विजुअल सहायता सामग्री विकसित करना।
अ. परिषद की अनुसंधान गतिविधियाँ
• रोग स्थितियाँ – क्लीनिकल अनुसंधान के अंतर्गत
• औषधि अनुसंधान – औषधि मानकीकरण, औषधि परीक्षण तथा क्लीनिकल सत्यापन
• मौलिक एवं आधारभूत अनुसंधान
• जन स्वास्थ्य पहल कार्यक्रम
परिषद ने संबद्ध विज्ञानों के अनेक उत्कृष्ट संस्थानों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान भी किया है।
ब. निगरानी
तकनीकी गतिविधियों की निगरानी क्लीनिकल अनुसंधान/औषधि परीक्षण/औषधि मानकीकरण/मौलिक अनुसंधान/नैतिक समिति तथा वैज्ञानिक सलाहकार समिति द्वारा की जाती है।
स. अनुसंधान गतिविधियों का प्रसार
यह निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
- स्वास्थ्य मेलों/प्रदर्शनियों में भागीदारी
- प्रकाशनों के माध्यम से
- राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनार/सम्मेलनों में भागीदारी
- निरंतर चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रमों का आयोजन
परिषद के प्रकाशन (मूल्यांकित/निःशुल्क) ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
द. प्रशासन/लेखा
परिषद प्रशासन एवं लेखा संबंधी सभी मामलों में भारत सरकार के नियमों/विनियमों का पालन करती है तथा आयुष मंत्रालय के निर्देशों का अनुसरण करती है।
6. हमारी सेवाएँ एवं सुविधाएँ
• अनुसंधान संस्थानों/इकाइयों के ओपीडी/आईपीडी के माध्यम से जनता को चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करना।
• वैज्ञानिक सलाहकार समिति, परिषद के शासी निकाय, आयुष मंत्रालय की सिफारिशों तथा होम्योपैथी पद्धति के विकास की आवश्यकताओं के अनुसार अनुसंधान परियोजनाएँ एवं अन्य गतिविधियाँ संचालित करना।
• आयुष मंत्रालय को समय-समय पर होम्योपैथी पद्धति, विशेष रूप से अनुसंधान संबंधी जानकारी प्रदान करना।
• परिषद के संस्थानों/इकाइयों को उनकी गतिविधियों एवं परियोजनाओं हेतु आधारभूत, लॉजिस्टिक एवं प्रशासनिक सहायता प्रदान करना।
• होम्योपैथी चिकित्सकों एवं अन्य हितधारकों को अनुसंधान संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना।
निम्नलिखित के लिए सहायता सेवाएँ:
• आयुष मंत्रालय की अतिरिक्त-म्यूरल अनुसंधान योजना हेतु तकनीकी सहायता
• होम्योपैथी घटक को शामिल कर जन हस्तक्षेप कार्यक्रम
• छात्रवृत्ति योजना के माध्यम से कॉलेजों में अनुसंधान को प्रोत्साहन
• आरोग्य एवं स्वास्थ्य मेलों, सम्मेलनों आदि के माध्यम से चिकित्सकों हेतु आईईसी एवं अनुसंधान प्रसार
• सेवा/स्थापना संबंधी मामलों एवं शिकायतों का त्वरित निस्तारण।
7. समय-सीमा
लोक शिकायतों का निस्तारण प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के 12 मार्च, 2015 के दिशानिर्देशों के अनुसार दो माह के अंदर किया जाता है।
अनुसंधान अध्ययनों के मामले में समय-सीमा संबंधित अध्ययन प्रोटोकॉल में निर्धारित होती है।
8. हमारी वेबसाइट
परिषद अपनी वेबसाइट www.ccrhindia.ayush.gov.in बनाए रखती है जहाँ परिषद एवं उसके संस्थानों/इकाइयों की गतिविधियों की जानकारी जनता के लिए अपलोड की जाती है।
वेबसाइट पर सीपीग्राम्स, निविदाएँ अपलोड करने की सुविधा, भर्ती विज्ञापन, भर्ती परिणाम, वार्षिक प्रतिवेदन एवं अन्य प्रकाशन (अनुसंधान निष्कर्ष सहित) उपलब्ध हैं।
9. शिकायतें एवं अभियोग
शिकायतें निम्न को प्रेषित की जा सकती हैं:
ई-मेल : ccrhindia[at]gmail[dot]com या padgccrh[at]gmail[dot]com
फोन: 011/25824266
ई-मेल : ccrhindia[at]gmail[dot]com या padgccrh[at]gmail[dot]com
| परिषद का नागरिक घोषणा-पत्र | डाउनलोड (154 kB) |






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