होम्योपैथी में लघु अवधि छात्रवृत्ति (STSH) कार्यक्रम के बारे में

पृष्ठभूमि

केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) होम्योपैथी में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने वाली शीर्ष संस्था है। यह अनुसंधान को शिक्षा से जोड़ने का कार्य भी करती है। स्नातक होम्योपैथिक छात्रों में अनुसंधान के प्रति रुचि एवं अभिरुचि विकसित करने के उद्देश्य से सीसीआरएच ने लघु अवधि छात्रवृत्ति कार्यक्रम (STSH) शुरू किया है।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्नातक छात्रों को अपने वरिष्ठों के साथ चल रहे अनुसंधान कार्य से जुड़कर या स्वतंत्र परियोजना करके अनुसंधान पद्धति एवं तकनीकों से परिचित होने का अवसर प्रदान करना है। इससे भविष्य में अनुसंधान को कैरियर बनाने की प्रेरणा मिलेगी। गाइड/संस्था को छात्र को अनुसंधान करने हेतु सभी सुविधाएँ उपलब्ध करानी होंगी।

यह योजना मुख्य रूप से होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान को प्रोत्साहित करने तथा उनके अनुसंधान कार्य को व्यापक शोध समुदाय तक पहुँचाने के लिए है। छात्रवृत्ति की राशि रु. 30,000/- (तीस हजार रुपये मात्र) है जो केवल छात्र को स्टाइपेंड के रूप में दी जाएगी। अनुसंधान का व्यय संबंधित मेडिकल कॉलेज/संस्था वहन करेगी।

पात्रता

  1. यह कार्यक्रम केवल बीएचएमएस द्वितीय वर्ष से इंटर्नशिप तक के नियमित स्नातक छात्रों के लिए है।
  2. छात्र को अपने ही मेडिकल कॉलेज में, कॉलेज के स्थायी पूर्णकालिक फैकल्टी सदस्य के मार्गदर्शन में अनुसंधान करना होगा। पार्ट-टाइम/विज़िटिंग फैकल्टी/रेज़िडेंट/ट्यूटर/पीजी छात्र गाइड नहीं बन सकते।
  3. एक गाइड के पास अधिकतम दो छात्र ही कार्य कर सकते हैं। एक ही टॉपिक पर दो या अधिक छात्रों का प्रोजेक्ट स्वीकार नहीं होगा। एक मुख्य गाइड और सह-गाइड हो सकते हैं, किन्तु सीसीआरएच केवल एक मुख्य गाइड को ही मान्यता देगी।
  4. केवल भारत के मान्यता प्राप्त होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले भारतीय छात्र ही आवेदन कर सकते हैं। एनआरआई एवं विदेशी संस्थानों के छात्र पात्र नहीं हैं।

आवेदन एवं चयन प्रक्रिया

  1. यह पूरी तरह ऑनलाइन कार्यक्रम है। कोई हार्ड कॉपी जमा करने की आवश्यकता नहीं है।
  2. प्रतिवर्ष 1 जुलाई से 31 अगस्त तक पंजीकरण एवं प्रस्ताव जमा किए जा सकते हैं। परिणाम दिसम्बर में घोषित होते हैं। चयनित होने पर छात्र को अगले वर्ष 30 सितम्बर तक परियोजना पूरी करके रिपोर्ट जमा करनी होगी। रिपोर्ट स्वीकृत होने पर ही स्टाइपेंड एवं प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।
  3. गाइड को परियोजना के संचालन, पूर्ण रिपोर्ट तैयार करने एवं समय-सीमा में जमा करने की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी लेनी होगी।
  4. विशेषज्ञ पैनल द्वारा प्रस्ताव के तकनीकी मूल्यांकन के बाद चयन होगा। परिषद का चयन संबंधी निर्णय अंतिम होगा।
  5. मानव/पशु संबंधी अनुसंधान होने पर क्रमशः IEC या IAEC से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य है। यह प्रमाण-पत्र प्रस्ताव के साथ या रिपोर्ट के साथ जमा किया जा सकता है।

सामान्य निर्देश

  1. जिन छात्रों का पिछले वर्ष का STSH प्रोजेक्ट अधूरा रह गया हो, वे उसी प्रोजेक्ट के साथ अगले वर्ष पुनः आवेदन कर सकते हैं, किन्तु उन्हें कोई विशेष प्राथमिकता नहीं मिलेगी।
  2. किसी भी प्रश्न के लिए ccrhstsh1@gmail.com पर मेल करें एवं मेल में अपना Reference ID अवश्य लिखें।

Bullet

योजना का विस्तृत विवरण डाउनलोड करें → डाउनलोड

Bullet STSH 2025

पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ाई गई : 15 सितम्बर 2025 तक

STSH 2025 के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि - 31 अगस्त 2025

विवरण दस्तावेज़
STSH 2025 दिशानिर्देश डाउनलोड
आवेदन सत्यापन प्रपत्र (Attestation Form) डाउनलोड
पंजीकरण लिंक लिंक




Bullet STSH 2024

STSH 2024 की अंतिम रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि : 30 सितम्बर 2025
(रिपोर्ट उसी ई-मेल से भेजें जिससे पंजीकरण किया गया था → ccrhstsh1@gmail.com)

विवरण दस्तावेज़
STSH 2024 दिशानिर्देश डाउनलोड
रिपोर्ट सत्यापन प्रपत्र (RAF) डाउनलोड
अंतिम रिपोर्ट प्रारूप डाउनलोड
मानक संचालन प्रक्रिया डाउनलोड




Bullet पिछले वर्षों के परिणाम देखें

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About CCRH

Homoepathy was discovered by a German Physician, Dr. Christian Friedrich Samuel Hahnemann (1755-1843), In the late eighteen century. It is a therapetic systemof medicine premised on the principle,"Similia Similibus Curentur" or 'let likes be treated by likes'. It is a method of treatment for curring the patient by medicines that posses the power of producing similar symptoms in a human being simulating the natural disease, which it can cure in the diseased person, It treates the patients not only through holistic approach but also considers individuaistic characteristics of the person. This concepts of 'Law of Similars' was also enuncaited by Hippocrates and Paracelsus, but Dr. Hahnemann established it on a scientific footing despite the fact that he lived in an age when modern laboratory methods were almost unknown.

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